RAKHI Saroj

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लेखनी कविता-08-Feb-2025

वादा था 

तेरा होकर रहने का
अब किसी ओर की चाहत बनने की 
खातिर आईने को निहारती हूं 
वादा था तुझसे मोहब्बत कर 
तुझे आंखों में बसाने का
अब आंसुओं के सैलाब में 
तेरी तस्वीर का रंग धुंधला कर 
तेरे संग को भूल जाना चाहती हूं 
वादा था हमेशा तेरे साथ रहने का 
अब तेरे साथ को जामों के रंगों में 
डुबोती हूं, वादा था मेरा जीवन तेरे 
नाम करने का अब तेरे दिल में अपना 
खोजने के लिए तुझसे सवाल करती हूं। 
वादा था एक तुझे याद रखने का 
आज भूल जाने की चाहत रखती हूं। 
                          राखी सरोज 

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2 Comments

hema mohril

26-Mar-2025 05:05 AM

v nice

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kashish

09-Feb-2025 07:39 AM

👌👌

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